लेखनी कहानी -17-Oct-2022... आजादी....??
हम आजा़द हैं।
कहने में और सुनने में ये वाक्य कितना सुकून देता हैं।
लेकिन क्या आपको आजादी का सही मतलब भी पता हैं....?
ये सवाल आतें ही सबके मन में ये ही बात आएगी..... हाँ...!!!
आजादी मतलब अपने मन की कर सकते हैं.....।
यही तो आजादी हैं.....।
नहीं.... बिल्कुल नहीं..... आजादी का मतलब सिर्फ अपने मन की करना नहीं हैं.....।
15 अगस्त..... स्वतंत्रता दिवस....।
इस दिन हमारे भारत देश में आजादी मिलने की खुशी में हर जगह तिरंगा फहराया जाता है।
स्कूलों में.... कालेजों में.... गली मोहल्लों में..... और आजकल तो एक नया ट्रेंड चला है... अपने अपने यातायात के वाहनों में भी लोग तिरंगा लगाते हैं.....। हर जगह देशभक्ति के गाने चलाए जाते हैं। भाषण दिए जाते हैं। मिठाईयाँ बांटी जाती है।
ये अच्छा है.... बहुत अच्छा है...।
कम से कम हम एक दिन के लिए ही सही अपने देश को याद तो करतें हैं.... ।
16 अगस्त आते ही भले सब भूल जाते हैं।
हर कोई फिर से अपनी वही जिंदगी रोजमर्रा के कार्यो में व्यस्त हो जाता हैं।
अपने अपने काम को महत्व देना अच्छी बात है लेकिन इन सबमें देश का अपमान करना तो सही नहीं है ना......!!!!
जिस तिरंगे को आप 15 अगस्त को अपने वाहनों में घरों में शान से लगाते हैं.... अगले दिन उसे ऐसे ही यहाँ वहाँ फेंक देना.... ये तो सही नहीं है ना....!! क्या ये आजादी है.....??
मै आपको बहुत ही सरल शब्दों में बताने की कोशिश करतीं हुं की आखिर आजादी है क्या......!
आजकल लगभग हर घर में काम वाली बाईयां तो होती ही है.... ।
आप उनसे अपने घर का काम करवाते हैं....।
वो आपके समय अनुसार आती है... आपका कहा हर काम करतीं हैं....। तो क्या वो आपकी गुलाम हो गई.....??
नहीं.....।
अपने हर काम को करवाने के लिए बदले में वो आपसे रकम लेती हैं....।। जो उसकी जरूरत है.... जिसके लिए वो आपका काम करतीं हैं। अगर आप उन्हें कुछ ना दे तो क्या वो आपका काम करेंगी.....???
नहीं ना....।
हमारे वीर सेनानी करते थे.... गुलामों की तरह अंग्रेजी सेना का हर काम करते थे। उनके बारे में जितना लिखे उतना कम हैं....।
आजादी हमें अंग्रेजों से मिलीं है।और कैसे मिलीं है ये भारत देश का हर बच्चा जानता होगा।
लेकिन आज हम फिर से उन्ही के गुलाम होते जा रहे हैं।
परिवर्तन संसार का नियम है.... परिवर्तन और तरक्की करना जरूरी भी है....। लेकिन अपने देश में बनी वस्तुएँ इस्तेमाल ना करके, अपने देश के खाने का आदर ना करके, अपने देश में निर्मित कपड़े ना लेके...... क्या हम सही कर रहे हैं।
स्वदेशी पहनो... स्वदेशी अपनाओ....!
हर बार सरकार ये नारा देतीं हैं लेकिन इन पर अमल कितने लोग करते हैं... ये बताने की जरूरत नही है।
हमें खाने में पिज़्ज़ा , बर्गर, मोमोज़, नुडल्स, पास्ता, चाहिए ही चाहिए।
कोई भी बात हो केक काटना तो जैसे अत्यंत आवश्यक हो गया है।
जब तक कोल्ड ड्रिंक ना हो हर पार्टी अधुरी हैं।
बात कपड़ों की हो या घर में हो रही किसी भी जरूरत के सामान की..... ब्रांडेड होना चाहिए....। क्या ये आजादी है.....?
सब कुछ करो... लेकिन अपने देश.... अपने देश में बनी वस्तुओं.... अपने देश के लोगों.... अपने तिरंगे का कभी अपमान ना करें।।।।।
सही मायने में आजादी हमें अपने विचारों अपनी सोच पर लानी चाहिए।
सिर्फ एक दिन की आज़ादी का त्यौहार ना मनाएं.... हर दिन कुछ ऐसा करें की आपको उस एक दिन का इंतजार ना करना पड़े।
अगर आप समर्थ है तो हर रोज़ किसी असहाय की मदद करें... किसी के साथ कुछ गलत हो रहा हो तो आवाज उठाए।
आजादी का असली अर्थ ये ही है।
एक दूसरे का सहारा बने।
एक दूसरे का साथ दें।
एक दुसरे का सम्मान करें।
हर काम को महत्व दें।
छोटे बड़े, अमीर गरीब का भेद ना रखें।
तभी देश आगे बढ़ेगा।
अपने देश का सम्मान करें... यहाँ रहने वाले हर इंसान का, हर प्राणी का सम्मान करें।।।।
ना पुछ जमाने से की क्या हमारी कहानी हैं....
हमारी पहचान तो बस इतनी सी है की हम हिन्दुस्तानी हैं....
🇮🇳......जय हिंद..... जय भारत.... 🇮🇳
Palak chopra
06-Nov-2022 01:20 AM
Shandar 🌸🙏
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Mithi . S
05-Nov-2022 02:57 PM
Behtarin rachana
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shweta soni
05-Nov-2022 02:12 PM
शानदार रचना 👌
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